स्मृति के सघन में
रात चुनती रहती है सम्बन्धों के शेष
मैं उधड़ जाऊं सत्य की तरह
तब तुम्हारे अंक में मिले ठौर.
तुम्हारा आलिंगन
मेरा आश्रय है.
रात चुनती रहती है सम्बन्धों के शेष
मैं उधड़ जाऊं सत्य की तरह
तब तुम्हारे अंक में मिले ठौर.
तुम्हारा आलिंगन
मेरा आश्रय है.
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