और क्या कुछ न किया तुमने
मुझे पिरोया अपने हर अंग में.
अब कोई उलीचता है
तुम्हारी याद के घड़े भर-भर
कुछ भीगता फिर भी नहीं.
एक कामना
पुलकित हो मचल जाती है
पुनः पिरोलो एक बार,
बस एक बार.
मुझे पिरोया अपने हर अंग में.
अब कोई उलीचता है
तुम्हारी याद के घड़े भर-भर
कुछ भीगता फिर भी नहीं.
एक कामना
पुलकित हो मचल जाती है
पुनः पिरोलो एक बार,
बस एक बार.