Tuesday, October 2, 2007

अनंत आकाश में

मैं जो कहूँ
कि कोई पुष्प ले रहा है आकार
तुम्हरे पश्चात.

कोई अज्ञात
हर लेना चाहता है मेरी उदासी
किन्तु
रेत कण सी बिखर जाती है प्रतीक्षा
अनंत आकाश में.

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