Sunday, August 15, 2010

तुम्हारे लिए

अध खुले अधर
नमक के समुद्र में
चुनते हुए बिछोह के मोती.

अकस्मात वर्षा के
आगमन की भांति
तुम घेर लो मुझे. मेरे सम्पूर्ण को.

मैं आती हूँ जगत में तुम्हारे लिए
ओ प्रिये.