कच्ची मिट्टी की खोह में
प्रिय संग बसाया एक आगार.
नम वायु के झोंके
दीवस के दीप्त मध्याहन
रात्रि की श्याम चादर
ज्यों कोई अश्रु भरी आँखें
अग्नि भरा ह्रदय
और आस रहित जीवन.
मैं अपनी चुप्पी से कहूँ
बाँधे अपना धीर
तुम सुनो पुकार कि आना एक बार.
प्रिय संग बसाया एक आगार.
नम वायु के झोंके
दीवस के दीप्त मध्याहन
रात्रि की श्याम चादर
ज्यों कोई अश्रु भरी आँखें
अग्नि भरा ह्रदय
और आस रहित जीवन.
मैं अपनी चुप्पी से कहूँ
बाँधे अपना धीर
तुम सुनो पुकार कि आना एक बार.